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    Home»Indian Gk»भारतीय संविधान में कुल कितने मौलिक अधिकार है ?
    Indian Gk

    भारतीय संविधान में कुल कितने मौलिक अधिकार है ?

    Shashi SharmaBy Shashi SharmaMarch 4, 2021
    भारतीय संविधान में कुल कितने मौलिक अधिकार है
    भारतीय संविधान में कुल कितने मौलिक अधिकार है

    भारतीय संविधान में कुल कितने मौलिक अधिकार है : नमस्कार दोस्तों आज हम इस लेख में सीखेंगे के मौलिक अधिकार कितने प्रकार के हैं। यदि आप एक छात्र है या फिर प्रतियोगिता के लिए तैयारी कर रहे हैं। तो आप बिल्कुल सही जगह पर है। क्योंकि इस लेख में मौलिक अधिकारों से संबंधित सम्पूर्ण  जानकारी आपको इस लेख में मिल जाएगी । जानकारी को हासिल करने के लिए लेख को पूरा पढ़ें तो आइए को शुरू करते हैं।

    भारतीय संविधान में कुल कितने मौलिक अधिकार है। How Many Fundamental Right in Indian Constitution

    भारतीय संविधान में भारतीय नागरिकों के लिए कुल 6 मौलिक अधिकार दिए गए हैं।बह  मौलिक अधिकार(fundamental rights)  निम्नलिखित है।

    • समानता का अधिकार (Right to Equality )
    • स्वतंत्रता का अधिकार (Right to freedom)
    • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to religious freedom)
    • शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right against exploitation)
    • संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार (Right to Culture and Education)
    • संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to constitutional remedies)

    समानता का अधिकार (Right to Equality )

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 के अंतर्गत भारतीय नागरिकों को समानता का अधिकार दिया गया है।

    अनुच्छेद 14 के तहत भारत के सभी नागरिकों को विधि के समक्ष समान अधिकार प्राप्त है अर्थात राज्य  सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून का प्रावधान करेगा और उसी तरह एक समान रूप से उसे लागू भी करेगा।

    अनुच्छेद 15 के तहत भारत के किसी भी नागरिक के साथ राज्य धर्म जाति लिंग नस्ल का जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।

    अनुच्छेद 16 के तहत भारत के सभी नागरिकों को राज्य के अधीन किसी भी पद पर नियुक्त होने के लिए उपलब्ध समान अवसर की प्राप्ति अधिकार होगा।

    अनुच्छेद 17  के तहत अस्पृश्यता अंत कर दिया गया है। यदि कोई इसे अपने जीवन में अपनाता है ऐसी भावना प्रकट करता है तो उसे दंडनीय अपराध घोषित किया जाएगा।

    अनुच्छेद 18  के तहत भारत का कोई भी नागरिक राष्ट्रपति की आज्ञा कि बिना किसी अन्य देश के किसी प्रकार की उपाधि स्वीकार नहीं करेगा सहना या अकादमिक सम्मान के सिवाय राज्य की उपाधि का प्रावधान नहीं करेगा क्योंकि उपाधियों को समाप्त कर दिया गया है।

    स्वतंत्रता का अधिकार (Right to freedom)

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 भारतीयों के लिए स्वतंत्रता का अधिकार का प्रदान करता है।

    अनुच्छेद 19 सभी भारतीय नागरिकों को विभिन्न प्रकार के यह विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है जो क्रमवार है।

    19 A विचार अभिव्यक्ति एवं प्रेस की स्वतंत्रता सूचना पाने की स्वतंत्रता

     19 B  शांतिपूर्वक बिना शास्त्र के एकत्रित होने  सम्मेलन करने की स्वतंत्रता।

    19 C  किसी भी प्रकार के संग बनाने की स्वतंत्रता।

    19 D देश के किसी भी विभाग में आवागमन की स्वतंत्रता।

    19 E निवास की स्वतंत्रता।

     19 D  व्यापार-व्यवसाय रोजगार की स्वतंत्रता।

    अनुच्छेद 20 भारतीय नागरिकों को अपराध के लिए दोषी के संबंध में संरक्षण प्रदान करता है जैसे

    1. किसी भी व्यक्ति को एक अपराध के लिए सिर्फ एक बार सजा मिलेगी
    2. अपराधी को केवल तत्कालीन कानून उपलब्ध के तहत सजा मिलेगी
    3. किसी भी नागरिक को स्वयं के विरुद्ध न्यायालय में गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

    अनुच्छेद 21 भारतीय नागरिकों के जीवन एवं शारीरिक स्वतंत्रता का संरक्षण प्रदान करता है। इसके तहत किसी भी भारतीय नागरिक को कानून द्वारा निर्मित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।

    अनुच्छेद 21 (क) राज्य 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करवाएगा।

    अनुच्छेद 22 कुछ परिस्थितियों में भारतीय नागरिकों की गिरफ्तारी और विरोध में संरक्षण प्रदान करता है जैसे

    1. यदि किसी नागरिक को मनमाने तरीके से हिरासत में लिया गया है तो उसे हिरासत से लेने के कारण बताना होगा
    2. हिरासत में लिए गए नागरिक को 24 घंटे के भीतर निश्चित दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया गया जाएगा
    3.  हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अपने पसंद के अधिवक्ता से स्थान लेने का अधिकार होगा .

    धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to religious freedom)

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 धार्मिक स्वतंत्रता को प्रदान करते हैं।

    अनुच्छेद 25 के अंतर्गत भारतीय नागरिकों को किसी भी धर्म को मानने उसका प्रचार प्रसार करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।

    अनुच्छेद  26 भारतीय नागरिकों को अपने धर्म के लिए संस्थाओं की स्थापना करने संचालन करने तथा विधिवत रूप से संपत्ति अर्जित करने स्वामित्व रखने का निरंतर निरंतर नियंत्रण का अधिकार देता है।

    अनुच्छेद 28  इसके अंतर्गत राज्य विधि से पूर्ण रूप से संचालित किसी भी शिक्षण संस्थान में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी इस प्रकार का कोई भी शिक्षण संस्थान अपने विद्यार्थियों के को किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने किसी  धर्म उपदेश को सुनने के लिए बाध्य नहीं करेगा।

    अनुच्छेद 27 के अंतर्गत राज्य किसी भी नागरिक को जिसकी आए किसी भी धर्म या धार्मिक संप्रदाय के प्रगति में व्यक्त करने के लिए निश्चित कर दी गई है उसे ऐसे कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

    शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right against exploitation)

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 और 24 भारतीय नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार प्रदान करते हैं। अनुच्छेद 23 में मानव के दुर्व्यवहार और बलात श्रम प्रतिषेद  किया गया है। ऐसा करना दंडनीय अपराध घोषित किया गया है

    यह भी पढ़ें –

    National Emblem of India in Hindi – सम्पूर्ण जानकारी हिन्दी में

    भारत के महान व्यक्तित्व वाले व्यक्तियों की सूची -जानकारी हिन्दी में

    अनुच्छेद 24 में 14 वर्ष से कम आयु वाले किसी भी व्यक्ति को कारखाने खनन क्षेत्रों अन्य किसी भी प्रकार के जोखिम भरे कार्यों पर नियुक्त करना दंडनीय अपराध घोषित किया गया है।

    संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार (Right to Culture and Education)

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 भारतीय नागरिकों के लिए संस्कृति एक शिक्षा संबंधी अधिकारों का प्रावधान करते हैं।

    अनुच्छेद 29(! )भारत के नागरिकों को जिनकी अपनी विशेष पहचान लिया संस्कृति है उसे  बनाए रखने में उनका पूरा अधिकार देता है।

    अनुच्छेद 29(!!) किसी भी नागरिक को भाषा जाति धर्म संस्कृति के आधार पर किसी भी सरकारी संस्थान में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता है।

    संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to constitutional remedies)

    डॉक्टर अंबेडकर की मान्यता थी कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32 संविधान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रावधान है इसके बिना सविधान अधूरा है। उनके अनुसार संवैधानिक उपचारों का अधिकार संविधान की आत्मा एवं हृदय है।

    भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32 सर्वोच्च न्यायालय को भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का संरक्षक निर्धारित करता है।

    यदि किसी भी नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन होता है तो सर्वोच्च न्यायालय से अपील कर सकता है। सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों को नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए याचिका जारी करने का अधिकार प्राप्त है।

    अंतिम शब्दों में –

    प्रिय पाठकों आज हमने इस लेख में जाना जो भारतीय संविधान में कुल कितने मौलिक अधिकार है और उनको अच्छे से समझने की कोशिश की उम्मीद करता हूं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपको लेख पसंद आया हो तो कृपया करके लेख को अपने मित्रों के साथ शेयर करें ताकि उनके ज्ञान में भी वृद्धि हो सके और वह अपने मौलिक अधिकारों के विषय में अच्छे से जान सके।

    लेख को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

    Shashi Sharma
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