What is Swift : Swift की फुल फॉर्म Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication जिसका हिन्दी अनुबाद विश्वव्यापी इंटरबैंक वित्तीय दूरसंचार सोसायटी जिसका मुख्य कार्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बैंको संदेश नेटवर्क स्थापित करना। जो दुनिया भर में बैंकों के बीच वित्तीय लेनदेन और भुगतान के निष्पादन से संबंधित सेवाएं प्रदान करती है।
यह वित्तीय संस्थानों को सॉफ्टवेयर और सेवाएं भी बेचता है, ज्यादातर इसके स्वामित्व वाले “स्विफ्टनेट” और आईएसओ 9362 बिजनेस आइडेंटिफायर कोड (बीआईसी), जिन्हें “स्विफ्ट कोड” के नाम से जाना जाता है।
What is Swift
स्विफ्ट मैसेजिंग नेटवर्क वैश्विक भुगतान प्रणाली का एक घटक है। स्विफ्ट “लेन-देन में शामिल वित्तीय संस्थानों के बीच भुगतान निर्देशों वाले संदेशों के वाहक के रूप में कार्य करता है। हालांकि, संगठन व्यक्तियों या वित्तीय संस्थानों की ओर से खातों का प्रबंधन नहीं करता है, और यह धन नहीं रखता है तीसरे पक्ष से।
बेल्जियम के कानून के तहत एक सहकारी समिति के रूप में, SWIFT का स्वामित्व इसके सदस्य वित्तीय संस्थानों के पास है। इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स के पास La Hulpe, बेल्जियम में है। SWIFT के अध्यक्ष पाकिस्तान के यावर शाह हैं। और इसके CEO स्पेन के जेवियर पेरेज़-तासो हैं।
History of Swift
SWIFT की स्थापना ब्रसेल्स में 3 मई 1973 को रॉयटर्सकिल्ड के नेतृत्व में हुई थी। और इसे 15 देशों के 239 बैंकों द्वारा समर्थित किया गया था। इसकी स्थापना से पहले, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन टेलेक्स के माध्यम से संप्रेषित किए जाते थे। जो की एक बहुत ही धीमी गति बाला प्रोसेस था। जिसमे लेने देना बहुत समय लगता था। और साथ में गलती भी होती थी। इस प्रणाली जिसमें रूप से लिखना और संदेशों को पढ़ना शामिल था।
एक निजी और पूरी तरह से अमेरिकी संस्था वैश्विक वित्तीय प्रवाह को नियंत्रित करती है – जो पहले न्यूयॉर्क का फर्स्ट नेशनल सिटी बैंक (FNCB) था। अमेरिका और यूरोप में FNCB के प्रतिस्पर्धियों ने एक वैकल्पिक मैसेजिंग सिस्टम को आगे बढ़ाया जो सार्वजनिक प्रदाताओं की जगह ले सकता है और भुगतान प्रक्रिया को तेज कर सकता है। स्विफ्ट ने वित्तीय लेनदेन के लिए सामान्य मानकों और एक साझा डेटा प्रोसेसिंग सिस्टम और लॉजिका द्वारा डिजाइन और बरोज़ कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित विश्वव्यापी संचार नेटवर्क स्थापित करना शुरू किया।
रूस को Swift सिस्टम से किया बहार
रूस और यूक्रेन का युद्ध ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है। रूस लगातार यूक्रेन हमले कर रहा है।रूस पर अंतराष्ट्रीय दबाब बनाने की भी लगातार कोशिश हो रही है। ताकि यह युद्ध बंद हो जाये। इसलिए पहले कल रूस ने कल अपनी वीटो पावर का उपयोग करते हुए यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई की निंदा करते हुए यूएनएससी के एक प्रस्ताव को रोक दिया।
इसी के चलते है अमरीका और यूरोपीय देश ने रूस को स्विफ्ट सिस्टम से बहार कर दिया। जिससे रूस के बैंको को बहुत दिकतो को सामना कर पड़ेगे। इससे रूस के नागरिको को भी बहुत ज़्यदा मुश्किलों का सामना कर पड़ेगा। जो अन्य देश रूस के साथ बिज़नेस करते है उन्हें भी पैसे की लेने देन मुश्किलें होने बाली है। क्युकी ज़्यदातर पेमेंट स्विफ्ट के दुबारा ही होती है। अब ऐसे में देखना होगा की रूस का अगला कदम क्या होने बाला है।
सबसे पहले Swift सिस्टम से किस देश को किया बहार
जी हां इससे पहले ईरान को भी स्विफ्ट बैन किया गया था। स्विफ्ट बैन होने से सिर्फ देश को ही नहीं बल्कि आम नागरिको को भी बहुत ज़्यदा नुक्सान होता है। ईरान में दो साल के लिए स्विफ्ट बैन किया था। जिससे ईरान को बहुत नुक्सान हुआ था। ईरान की डिजिटल करन्सी लगभग पूरी तरह ख़त्म थी। इज़रायल पर भी स्विफ्ट बैन करने की कोशिश की थी।
भारत पर क्या प्रभाव पड़ने बाला है
भारत और रूस के मध्य बहुत व्यापार होता है। जिसकी पेमेंट स्विफ्ट के दुबारा होती थी। अब हो सकता पेमेंट का अन्य तरीके ढूढे। हो सकता की आगे रूस के सोने में व्यापार करे। चीन और रूस में पहले से संधि हुई है यदि स्विफ्ट बैन होता है तो हम गोल्ड में व्यापार करे। यह यहाँ पर देखने बाली बात होगी, की भारत का अगला कदम क्या होगा।
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